*निष्काम कर्मयोगी संत गाडगे महाराज का परिनिर्वाण दिवस/पुण्यतिथि है इस अवसर पर हम गाडगे बाबा को कोटि-कोटि नमन और वंदन करते हैं* ??
पुण्यतिथि विशेष 2019
*निष्काम कर्मयोगी संत गाडगे महाराज का परिनिर्वाण दिवस/पुण्यतिथि है इस अवसर पर हम गाडगे बाबा को कोटि-कोटि नमन और वंदन करते हैं* ??
बम्बई जैसे शहर में पहले भी हजारों लोग इलाज के लिए आते थे और आज भी आते हैं। लोग अस्पताल जाते हैं और इलाज कराकर चले जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनका इलाज लंबा चलता है उनके लिए सबसे बड़ी समस्या थी/है पेशेंट व तीमारदारों के लिए आवास की समस्या, जिससे शायद ही कोई उतना विचलित होता हो जितना गाडगे बाबा कभी हुए थे। गाडगे बाबा जब एक बार जे. जे. अस्पताल गए तो उन्होंने वहां मरीजों के तीमारदारों को परेशानी में देखा। उन्हें मरीजों के परिजनों की हालत देखकर बहुत तकलीफ हुई। बाबा बहुत व्यथित हुए और तत्कालीन मुख्यमंत्री खेर साहब से मिलकर धर्मशाला बनवाने की इच्छा जाहिर की तो खैर साहब ने बिना किसी देरी के अस्पताल परिसर में ही जगह दे दी। एक धर्मशाला बनाकर संचालन हेतु ट्रस्ट का गठन कर वहां के मुख्य चिकित्सक को ट्रस्टी बना दिया। फिर वह धर्मशाला तीमारदारों के लिए दे दी गई।
1952 में श्री गाडगे महाराज मिशन नाम की एक संस्था बनी। इसी संस्था के अंतर्गत आश्रमशालाएँ, छात्रावास और विद्यालय सहित लगभग 156 शैक्षणिक संस्थाओं का संचालन हो रहा है।
मुम्बई में दादर रेलवे स्टेशन के पास 1954 में धर्मशाला के निर्माण से मरीजों के तीमारदारों राहत मिलने लगी।
श्री गाडगे महाराज मिशन धर्मशाला ट्रस्ट, दादर (दादर स्टेशन के पास) धर्मशाला की स्थापना संत गाडगे महाराज जी ने की थी। इस धर्मशाला के प्रबंधक श्री प्रशांत जी देशमुख जी से मुलाकात कर धर्मशाला के कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई। प्रबंधक महोदय ने हमें (नरेन्द्र दिवाकर, बड़े भाई राजेन्द्र प्रसाद दिवाकर और साथी दिलीप चौधरी जी को) गाडगे बाबा से संबंधित पुस्तकें *जन जागरण की अमर ज्योति* और *The Wondering Saint* अमूल्य उपहार स्वरूप भेंट किया। इस धर्मशाला में यहां रहने वाले मरीजों और उनके परिजनों को पौष्टिक भजन वितरित किया जाता है। धर्मशाला में वर्तमान में इस धर्मशाला में 130 कमरे हैं जो टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल के मरीजों को ₹. 210/- प्रतिदिन की दर पर अधिकतम 3 माह के लिए आवंटित किए जाते हैं। यहां रहने वाले मरीजों और उनके परिजनों को खाना निःशुल्क दिया जाता है। मरीजों को डॉक्टर द्वारा निर्धारित मेन्यू दिया जाता है, जिसमें भोजन, फल, दूध, दलिया, अंडा आदि शामिल हैं। यहां रहने वाले मरीजों के बच्चों की शिक्षा को जारी रखने हेतु पाठशाला भी है। यह संस्था गाडगे बाबा के मूल्यों पर चलते हुए पूरे भारत भर से आए हुए मरीजों की सेवा हेतु सदैव तत्पर रहती है। देखने पर पता चला कि जिन मरीजों को कमरा नहीं आवंटित हो पाता है वे वहीं पर परिसर में ही रहकर इंतजार करते हैं जैसे ही कक्ष खाली होता है उन्हें आवंटित कर दिया जाता है।
इसी धर्मशाला के भीतर कुछ अलमारियों में गाडगे बाबा से संबंधित देश के विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों का संग्रह (विक्री हेतु उपलब्ध नहीं) है। जो कि गाडगे बाबा के संबंध में जानकारी प्राप्त करने हेतु बड़ा स्रोत है।
गाडगे बाबा ने जनकल्याण का आदर्श हमेशा अपने जेहन में रखा। समता की भावना को जागृत करने के साथ सामाजिक विषमता पर प्रहार भी किया। उनका मानना था कि किसी को अछूत मानना अन्याय ही नहीं अमानवीयता है। वे कहते थे कि भगवान मूर्तियों में न होकर दरिद्रनारायण के रूप में है इसलिए उन्हीं की सेवा करनी चाहिए।
आज जिस तरह के कल्याणकारी कार्य (जिनको करने से अब सरकारें कतरा रही हैं।) सरकार लोगों के कल्याण के लिए करती है वैसे ही समाज कल्याण के अनेक कार्य गाडगे बाबा ने किया था। उनके बहुमूल्य उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं और भविष्य में भी रहेंगे।
गाडगे बाबा ने ऐसे अनेक कार्य किए जो लोगों के लिए कल्याणकारी थे। इसी तरह के तमाम कार्यों में से उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य था समता तथा सद्भाव का संदेश सुदूर देहातों तक पहुंचाना।
आज (20 दिसंबर को) निष्काम कर्मयोगी संत गाडगे महाराज का परिनिर्वाण दिवस/पुण्यतिथि है इस अवसर पर हम गाडगे बाबा को कोटि-कोटि नमन और वंदन करते हैं ???साथ ही यह कामना करते हैं कि समाज को जगाने की जिस परंपरा की शुरुआत गाडगे महाराज ने अपने कीर्तनों और उपदेशों के जरिए की थी वह अनवरत बहती रहे। जब तक समाज स्वस्थ व निर्भय समाज नहीं बन पाएगा तब तक स्वच्छता के समाजशास्त्र के जनक, बुद्धिवादी आंदोलन के प्रणेता, प्रबोधन कार, कीर्तनकार, निष्काम कर्मयोगी, दीनोद्धारक जननायक श्री गाडगे बाबा का ऋण हम युवाओं (भारतीय समाज) के कंधों पर बना रहेगा और हमें उनके मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित करता रहेगा।
पुनः ऐसे महान व्यक्तित्व को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर विनम्र आदरांजली???? और नमन।
*नरेन्द्र दिवाकर*
मो. 9839675023