additional reading yoloxxx.com busty milfs pussylicking with cute stepteen.

शिक्षा ही मुक्ति का द्वार है

0

साथियों
हमारी जाति द्वारा अपने अस्तित्व की लड़ाई में विचार अनिवार्य उपकरण है। क्योंकि विचार शिक्षा से ही पैदा होते हैं और शिक्षा क्लासरूम से शुरू नहीं होती बल्कि बच्चे के जन्म के क्षण से ही शुरू हो जाती है। माता-पिता, वयस्कों और परिवार सदस्यों के लिए यह समझना जरूरी है कि बच्चों के साथ क्या किया जाए और क्या नहीं? बच्चों के खाने-पीने पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि शुरुआत के 5-6 वर्ष ही उनकी बौद्धिक क्षमता की विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं अन्यथा वे जन्म के समय संभावित मानसिक क्षमता के साथ ही शुरुआती कक्षा में जाएंगे। मशहूर दार्शनिक फिदेल कास्त्रो कहते हैं कि *शिक्षा एक ऐसा उपकरण है जो जीव सुलभ स्वभाविक वृत्तियों के साथ जन्मे बच्चे को मानव में बदलता है।* वे आगे कहते हैं कि *बेहतर दुनिया संभव है, यह बेहतर दुनिया कई तत्वों पर आधारित है लेकिन शिक्षा के बगैर उसके बारे में सोचा तक नहीं जा सकता।* शिक्षा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ज्ञान के अभाव से उत्पन्न गरीबी खुद गरीबी पैदा करती। हम भविष्य में जो भी कार्य करते हैं हमारे द्वारा परिवार में अर्जित ज्ञान का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। शिक्षा बराबरी, कल्याण और सामाजिक न्याय लाने का उत्कृष्ट उपकरण है। हम सब किसी और सभ्यता व संस्कृति के शिकार होते जा रहे हैं हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए विचार देने होंगे। लोगों में जागरूकता पैदा करनी होगी और अपना एक जनमत तैयार करना होगा तभी हम हमारी जाति, हमारी संस्कृत और हमारी सभ्यता को बचा पाएंगे। यह इतना भी आसान काम नहीं है पर हम इसके लिए संघर्ष करते रहे हैं और करते रहेंगे। हमें बाहरी शक्तियों के साथ साथ आंतरिक शक्तियों से भी लड़ना होगा। हमें शिक्षा से जितना दूर रखने की कोशिश की जाएगी हम शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उतना ही मजबूत करेंगे और अपने समुदाय को अपनी जाति को शिक्षा की तरफ आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। हमें गरीब और अमीर के बीच बंटी हुई जमात के बारे में नहीं सोचना है बल्कि हमें समानता के बारे में सोचना होगा और एक होने के लिए सोचना होगा जिससे हम सब एक होकर अपने हर मकसद में कामयाब हो सकें।
सरकारें हमारे लिए कुछ करें न करें हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को शिक्षित बनाने के लिए कुछ ना कुछ करना ही होगा।
तवारीख गवाह है कि लोकतंत्र को बचाने में हमने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है यह अलग बात है कि अब तक हमारी भूमिका को सही तरीके से रेखांकित नहीं किया गया। चाहे वह राम (मान्यताओं के अनुसार) के समय की बात हो या जहांगीर के समय की बात हो। इन दोनों के राज्य को न्याय के संदर्भ में याद किया जाता है और मिशाल के तौर पर जाना जाता है। लेकिन यदि हम देखें तो पता चलता है कि इन दोनों के राज्य में न्याय की व्यवस्था को झकझोरने का काम धोबियों ने ही किया था। रामराज्य के न्याय के संदर्भ में भी धोबी ने ही याद दिलाया था और जहांगीर के समय में भी एक धोबी ने ही उनके न्याय की परिभाषा को बदल दिया था। निष्काम कर्मयोगी गाडगे बाबा ने स्वच्छता के समाजशास्त्र की नई परिभाषा दी। व्यक्तिगत स्वच्छता से सिर्फ व्यक्ति स्वस्थ रहेगा पूरा समुदाय नहीं इसलिए उन्होंने पूरे गांव की स्वच्छता पर न केवल बल दिया अपितु स्वयं उसे किया भी। उन्होंने शिक्षा से वंचित समाज को शिक्षा दिलाने के लिए बिना किसी का विरोध किए उल्लेखनीय योगदान दिया।
इतिहास ऐसा ही नहीं है जैसा हमें दिखाया जाता है इतिहास ऐसा भी है जिसमें हमारा महत्वपूर्ण योगदान रहा है पर हमारे योगदान को दुनिया के सामने आने ही नहीं दिया गया है।
इसलिए अब हमारे द्वारा अपना इतिहास खुद लिखे जाने का समय आ गया है और यह संभव होगा अपने विचारों को आगे बढ़ाने और समुदाय के हर सदस्य को शिक्षित करने से।
हम सबकी यह जिम्मेदारी बनती है कि अपने समुदाय को शिक्षित करने के लिए हर संसाधन उपलब्ध कराएं, जो सबसे ‘पवित्र’ कार्य होगा। जोसे मार्ती ने ठीक ही कहा था- *शिक्षा ही मुक्ति का द्वार है।*
नरेन्द्र कुमार दिवाकर
मो. 9839675023

Leave A Reply

Your email address will not be published.

sikiş reina sakai poses nude while fingering her twat.