*जरूरतमंद हुनरमंदों कोआर्थिक संबल मिले तो उद्योग जगत में लहराएंगे परचम
*जरूरतमंद हुनरमंदों कोआर्थिक संबल मिले तो उद्योग जगत में लहराएंगे परचम
उद्योग जगत में हमारी भागीदारी न के बराबर है क्योंकि हमने उद्योग जगत की ओर अभी तक सही से ध्यान ही नहीं दिया।
लेकिन वक़्त की नज़ाकत को देखते हुए अब देना होगा। इसके लिए आर्थिक रूप से सक्षम और जोखिम उठाने वाले लोगों को आगे बढ़कर आना होगा और जरूरतमंद हुनरमंदों को आर्थिक संबल प्रदान करना होगा जिससे वे अपने हुनर का इस्तेमाल कर अपनी आर्थिक क्षमता में वृद्धि करने के साथ-साथ समुदाय और देश की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। यह काम कर सकते हैं आर्थिक रूप से सबल और सक्षम लोग। जो लोग नौकरियों में हैं या आर्थिक रूप से सक्षम हैं वे जोखिम उठा सकते हैं, उन्हें चाहिए कि अपने भाई-बंधु, पड़ोसी, नात-रिश्तेदार, चिर-परिचित आदि जो कोई स्वरोजगार अपनाना चाहता है उसके लिए स्वयं अपनी ओर से आर्थिक मदद करें जिससे वह भी आगे बढ़ सके। यह आर्थिक संबल किसी भी तरह से हो सकता है जैसे वे लोग आपस में सामंजस्य स्थापित कर सकें। उद्योग या रोजगार वही कर सकता है जिसमें जोखिम उठाने की क्षमता हो क्योंकि कोई भी उद्योग या रोजगार बिना जोखिम लिए नहीं हो सकता है। कुछ लोग जो जरूरतमंद हुनरमंद तो हैं पर उनमें जोखिम उठाने की क्षमता नहीं होती क्योंकि उद्योग या रोजगार शुरू करने के साथ ही 4-6 महीने घर से ही लगाना पड़ सकता है, जरूरी नहीं कि तत्काल लाभ मिलने लगे। उद्योग/रोजगार शुरू करने वाले को डर रहता है कि कहीं व्यवसाय/उद्योग/रोजगार में लगाया पैसा डूब तो न जाय इसलिए वे हिम्मत भी नहीं कर पाते।
इसके विपरीत आर्थिक रूप से सबल और सक्षम लोग जोखिम उठा तो सकते हैं पर उनके पास समय या हुनर नहीं होता। कई बार हुनर होते हुए भी समय नहीं होता। तो बेहतर यही होगा कि अपने समुदाय, रिश्तेदार आदि की मदद करिए जिससे उसका परिवार भी पलेगा साथ ही आपको भी फायदा होगा और समुदाय को मजबूती मिलेगी। यदि ऐसा हुआ तो यकीनन एक दिन उद्योग जगत में हमारी भी भागीदारी होगी और हमारे लोग भी मालिक बनेंगे और परचम लहराएंगे। बात जोखिम की उठी ही है तो यह भी होना चाहिए कि अपनी जरूरतों का सामान अपने लोगों से ही लें एक तो सामान भी अच्छा मिलेगा दूसरे कम दाम पर मिलेगा तीसरे समुदाय की मदद भी हो सकेगी।
*नरेन्द्र दिवाकर*
मो. 9839675023